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Hanuman Chalisa Hindi | हनुमान चालीसा हिंदी
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि |
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
“श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।”
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||
“हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।”
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥
“श्री हनुमान जी!आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।”
राम दूत अतुलित बलधामा,
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥
“हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नहीं है।”
महावीर विक्रम बजरंगी,
कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥
“हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।”
कंचन बरन बिराज सुबेसा,
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥
“आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।”
हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे,
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥
“आपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।”
शंकर सुवन केसरी नंदन,
तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥
“हे शंकर के अवतार!हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है।”
विद्यावान गुणी अति चातुर,
राम काज करिबे को आतुर॥7॥
“आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।”
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,
राम लखन सीता मन बसिया॥8॥
“आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते है।श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते है।”
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥
“आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।”
भीम रूप धरि असुर संहारे,
रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥
“आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देश्यों को सफल कराया।”
लाय सजीवन लखन जियाये,
श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥
“आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।”
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥
“श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।”
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥
“श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।”
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद, सारद सहित अहीसा॥14॥
“श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।”
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥
“यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।”
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥
“आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया , जिसके कारण वे राजा बने।”
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥17॥
“आपके उपदेश का विभीषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।”
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥
“जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे।दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।”
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
“आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।”
दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
“संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।”
राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥21॥
“श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले है, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।”
सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना ॥22॥
“जो भी आपकी शरण में आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।”
आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥
“आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।”
भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै॥24॥
“जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।”
नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥25॥
“वीर हनुमान जी!आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है, और सब पीड़ा मिट जाती है।”
संकट तें हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥
“हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते है।”
सब पर राम तपस्वी राजा,
तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥
“तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।”
और मनोरथ जो कोइ लावै,
सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥
“जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।”
चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ 29॥
“चारों युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।”
साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥
“हे श्री राम के दुलारे ! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।”
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता॥31॥
“आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।”
राम रसायन तुम्हरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥
“आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।”
तुम्हरे भजन राम को पावै,
जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥
“आपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।”
अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥ 34॥
“अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।”
और देवता चित न धरई,
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥
“हे हनुमान जी!आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती।”
संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥
“हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।”
जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥
“हे स्वामी हनुमान जी!आपकी जय हो, जय हो, जय हो!आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।”
जो सत बार पाठ कर कोई,
छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥
“जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।”
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ 39॥
“भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है, कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।”
तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥
“हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।”
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभुप॥
“हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरूप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।”
Hanuman Chalisa With Lyrics
Hanuman Chalisa PDF Download | हनुमान चालीसा हिंदी PDF डाउनलोड
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हनुमान चालीसा रोज पढ़ने से क्या होगा?
हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय हनुमान चालीसा का पाठ करना है। जो व्यक्ति रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना है, उसकी इच्छा शक्ति भी बहुत मजबूत होती है। अगर रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना संभव हो तो सिर्फ मंगलवार को ही कर सकते हैं।
हनुमान चालीसा में क्या खास है?
हनुमान चालीसा का नियमित जाप तन और मन दोनों को शुद्ध करता है और गहराई तक उत्थान करता है । यह रोजमर्रा की जिंदगी में सभी बुराइयों से बचाता है और रोजमर्रा की जिंदगी में दूसरे ज्ञान और विश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
हनुमान चालीसा की शक्ति क्या है?
ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से बुरी आत्माओं से बचा जा सकता है, शनि के प्रभाव को कम किया जा सकता है और बुरे सपने से परेशान लोगों की मदद की जा सकती है। यह चुनौतियों का डटकर सामना करने की ताकत और साहस देता है। हनुमान चालीसा की रचना कवि तुलसीदास ने तब की थी जब मुगल बादशाह औरंगजेब ने उन्हें कैद कर लिया था।
हनुमान चालीसा का क्या रहस्य है?
हनुमान चालीसा का क्या रहस्य है?
1-बल, बुद्धि: हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या का दाता कहा जाता है, इसलिए हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करना आपकी स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि करता है. 2-अध्यात्मिक बल: प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से हमारा अध्यात्मिक बल बढ़ता है. अध्यात्मिक बल से ही है हम जीवन की हर परेशानी से लड़ सकते हैं.
1 दिन में हनुमान चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?
हनुमान चालीसा पाठ में एक पंक्ति है ‘जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महासुख होई’. आप इसका पाठ 7, 11, 100 और 108 बार कर सकते हैं. शास्त्रों में यह भी विधान है कि प्रतिदिन सौ बार पाठ करने से कई प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं, अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कम से कम 7 बार पाठ जरूर करें.
हनुमान चालीसा पढ़ते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
वस्त्र : हनुमानजी चालीका पाठ के दौरान सिर्फ एक वस्त्र पहनकर ही चालीसा का पाठ करें या उनकी पूजा करें। 13. आसन : हनुमान मूर्ति या चित्र को लकड़ी के पाठ पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें और खुद कुश के आसन पर बैठकर ही चालीसा का पाठ करें या पूजा करें।
Hanuman Chalisa English | Shri Hanuman Chalisa Lyrics in English
Doha
Shri Guru Charan Saroj raj Nija manu Mukura sudhari
Baranau Raghuvar Bimal Jasu Jo Dayaku Phala Chari
Budheeheen Tanu Jannike Sumiro Pavan Kumara
Bal Buddhi Vidya Dehoo Mohee Harahu Kalesh Vikaar
Chaupaii
Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar
Ram doot atulit bal dhama
Anjani putra Pavan sut nama
Mahabir vikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi
Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha
Hath Vajra Aur Dhwaja Viraje
Kaandhe moonj janeu saaje
Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan
Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur
Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya
Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jalava
Bhim roop dhari asur sanhare
Ramachandra ke kaj sanvare
Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye
Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mama priya Bharat-hi-sam bhai
Sahas badan tumharo yash gaave
As kahi Shripati kanth lagaave
Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad Sarad sahit Aheesa
Yam Kuber Dikpaal Jahan te
Kavi kovid kahi sake kahan te
Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha
Tumhro mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sab jag jana
Yug sahasra yojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu
Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee
Durgam kaj jagat ke jete
Sugam anugraha tumhre tete
Ram duwaare tum rakhvare
Hot na agya binu paisare
Sab sukh lahai tumhari sarna
Tum rakshak kahu ko darna
Aapan tej samharo aapai
Teenon lok hank te kanpai
Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavai
Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumat beera
Sankat se Hanuman chhudavai
Man Kram Vachan dhyan jo lavai
Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja
Aur manorath jo koi lavai
Soi amit jeevan phal pavai
Charon jug partap tumhara
Hai parsiddh jagat ujiyara
Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulare
Ashta siddhi nav nidhi ke data
As var deen Janki mata
Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa
Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam janam ke dukh bisraavai
Antkaal Raghuvar pur jayee
Jahan janam Hari Bhakt Kahayee
Aur Devta Chitt na dharahin
Hanumat sei sarv sukh karahin
Sankat kate mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera
Jai Jai Jai Hanuman Gosain
Kripa Karahun Gurudev ki nayin
Jo shat bar path kare koi
Chhutahin bandi maha sukh hoi
Jo yeh padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi saakhi Gaureesa
Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hriday mahn dera
Doha
Pavan Tanay Sankat Harana Mangala Murati Roop
Ram Lakhan Sita Sahita Hriday Basahu Soor Bhoop
Shri Hanuman Chalisa English PDF Download
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हनुमान चालीसा का पाठ रात को कितने बजे करना चाहिए?
हनुमान चालीसा का पाठ सूर्योदय के समय या सूर्यास्त के बाद करें।
हनुमान चालीसा कितने मिनट का होता है?
हनुमान चालीसा का पूरा पाठ करने में लगभग 10 मिनट लगते हैं।
रामचरित मानस के सुंदरकांड में हनुमानजी कहते हैं कि ‘प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥’ अर्थात मैं जिस कुल से यानी वानर कुल से हूं अगर सुबह-सुबह उसका नाम ले लेता है तो उस दिन उसको भोजन भी मुश्किल से मिलता है। इसलिए सुबह बिना अन्न जल ग्रहण किए वानर नाम नहीं लेना चाहिए।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र को सबसे प्रभावी मंत्र माना गया है. इस मंत्र के जाप से भक्तों को सुख एवं समृद्धि प्राप्त होती है
Hanuman Chalisa In Telugu | హనుమాన్ చాలీసా
దోహా-
శ్రీ గురు చరణ సరోజ రజ
నిజమన ముకుర సుధారి
వరణౌ రఘువర విమల యశ
జో దాయక ఫలచారి ||
అర్థం – శ్రీ గురుదేవుల పాదపద్మముల ధూళితో అద్దము వంటి నా మనస్సును శుభ్రపరుచుకుని, చతుర్విధ ఫలములను ఇచ్చు పవిత్రమైన శ్రీరఘువర (రామచంద్ర) కీర్తిని నేను తలచెదను.
బుద్ధిహీన తను జానికే
సుమిరౌ పవనకుమార
బల బుద్ధి విద్యా దేహు మోహి
హరహు కలేశ వికార ||
అర్థం – బుద్ధిహీన శరీరమును తెలుసుకొని, ఓ పవనకుమారా (ఆంజనేయా) నిన్ను నేను స్మరించుచున్నాను. నాకు బలము, బుద్ధి, విద్యను ప్రసాదించి నా కష్టాలను, వికారాలను తొలగించుము.
చౌపాఈ-
జయ హనుమాన జ్ఞానగుణసాగర |
జయ కపీశ తిహు లోక ఉజాగర || ౧ ||
అర్థం – ఓ హనుమంతా, జ్ఞానము మరియు మంచి గుణముల సముద్రమువంటి నీకు, వానరజాతికి ప్రభువైన నీకు, మూడులోకాలను ప్రకాశింపజేసే నీకు జయము జయము.
రామదూత అతులిత బలధామా |
అంజనిపుత్ర పవనసుత నామా || ౨ ||
అర్థం – నీవు శ్రీరామునకు దూతవు, అమితమైన బలము కలవాడవు, అంజనీదేవి పుత్రుడిగా, పవనసుత అను నామము కలవాడవు.
మహావీర విక్రమ బజరంగీ |
కుమతి నివార సుమతి కే సంగీ || ౩ ||
అర్థం – నీవు మహావీరుడవు, పరాక్రమముతో కూడిన వజ్రము వంటి దేహము కలవాడవు, చెడు మతి గల వారిని నివారించి మంచి మతి కలవారితో కలిసి ఉండువాడవు,
కంచన వరణ విరాజ సువేశా |
కానన కుండల కుంచిత కేశా || ౪ ||
అర్థం – బంగారురంగు గల దేహముతో, మంచి వస్త్రములు కట్టుకుని, మంచి చెవి దుద్దులు పెట్టుకుని, ఉంగరాల జుట్టు కలవాడవు.
హాథ వజ్ర ఔరు ధ్వజా విరాజై |
కాంధే మూంజ జనేవూ సాజై || ౫ ||
అర్థం – ఒక చేతిలో వజ్రాయుధము (గద), మరొక చేతిలో విజయానికి ప్రతీక అయిన ధ్వజము (జెండా) పట్టుకుని, భుజము మీదుగా జనేయును (యజ్ఞోపవీతం) ధరించినవాడవు.
శంకర సువన కేసరీనందన |
తేజ ప్రతాప మహా జగవందన || ౬ ||
అర్థం – శంకరుని అవతారముగా, కేసరీ పుత్రుడవైన నీ తేజస్సును ప్రతాపమును చూసి జగములు వందనము చేసినవి.
విద్యావాన గుణీ అతిచాతుర |
రామ కాజ కరివే కో ఆతుర || ౭ ||
అర్థం – విద్యావంతుడవు, మంచి గుణములు కలవాడవు, బుద్ధిచాతుర్యము కలవాడవు అయిన నీవు శ్రీ రామచంద్ర కార్యము చేయుటకు ఉత్సాహముతో ఉన్నవాడవు.
ప్రభు చరిత్ర సునివే కో రసియా |
రామ లఖన సీతా మన బసియా || ౮ ||
అర్థం – శ్రీరామచంద్ర ప్రభువు యొక్క చరిత్రను వినుటలో తన్మయత్వము పొంది, శ్రీ సీతా, రామ, లక్ష్మణులను నీ మనస్సులో ఉంచుకున్నవాడవు.
సూక్ష్మరూప ధరి సియహి దిఖావా |
వికటరూప ధరి లంక జరావా || ౯ ||
అర్థం – సూక్ష్మరూపము ధరించి సీతమ్మకు కనిపించినవాడవు, భయానకరూపము ధరించి లంకను కాల్చినవాడవు.
భీమరూప ధరి అసుర సంహారే |
రామచంద్ర కే కాజ సంవారే || ౧౦ ||
అర్థం – మహాబలరూపమును ధరించి రాక్షసులను సంహరించినవాడవు, శ్రీరామచంద్రుని పనులను నెరవేర్చినవాడవు.
లాయ సంజీవన లఖన జియాయే |
శ్రీరఘువీర హరషి వుర లాయే || ౧౧ ||
అర్థం – సంజీవిని తీసుకువచ్చి లక్ష్మణుని బ్రతికించిన నీ వల్ల శ్రీరఘువీరుడు (రాముడు) చాలా ఆనందించాడు.
రఘుపతి కీన్హీ బహుత బడాయీ |
తుమ మమ ప్రియ భరత సమ భాయీ || ౧౨ ||
[** పాఠభేదః – కహా భరత సమ తుమ ప్రియ భాయి **]
అర్థం – అంత ఆనందంలో ఉన్న శ్రీరాముడు నిన్ను మెచ్చుకుని, తన తమ్ముడైన భరతుని వలె నీవు తనకు ఇష్టమైనవాడవు అని పలికెను.
సహస వదన తుమ్హరో యశ గావై |
అస కహి శ్రీపతి కంఠ లగావై || ౧౩ ||
అర్థం – వేనోళ్ల నిన్ను కీర్తించిన శ్రీరాముడు ఆనందంతో నిన్ను కౌగిలించుకున్నాడు.
సనకాదిక బ్రహ్మాది మునీశా |
నారద శారద సహిత అహీశా || ౧౪ ||
యమ కుబేర దిగపాల జహాఁ తే |
కవి కోవిద కహి సకే కహాఁ తే || ౧౫ ||
అర్థం – సనకాది ఋషులు, బ్రహ్మాది దేవతలు, నారదుడు, విద్యావిశారదులు, ఆదిశేషుడు, యమ కుబేరాది దిక్పాలురు, కవులు, కోవిదులు వంటి ఎవరైనా నీ కీర్తిని ఏమని చెప్పగలరు?
తుమ ఉపకార సుగ్రీవహి కీన్హా |
రామ మిలాయ రాజ పద దీన్హా || ౧౬ ||
అర్థం – నీవు సుగ్రీవునికి చేసిన గొప్ప ఉపకారము ఏమిటంటే రాముని తో పరిచయం చేయించి రాజపదవిని కలిగించావు.
తుమ్హరో మంత్ర విభీషణ మానా |
లంకేశ్వర భయె సబ జగ జానా || ౧౭ ||
అర్థం – నీ ఆలోచనను విభీషణుడు అంగీకరించి లంకకు రాజు అయిన విషయము జగములో అందరికి తెలుసు.
యుగ సహస్ర యోజన పర భానూ |
లీల్యో తాహి మధుర ఫల జానూ || ౧౮ ||
అర్థం – యుగ సహస్ర యోజనముల దూరంలో ఉన్న భానుడిని (సూర్యుడిని) మధురఫలమని అనుకుని అవలీలగా నోటిలో వేసుకున్నవాడవు.
ప్రభు ముద్రికా మేలి ముఖ మాహీ |
జలధి లాంఘి గయే అచరజ నాహీ || ౧౯ ||
అర్థం – అలాంటిది శ్రీరామ ప్రభు ముద్రిక (ఉంగరమును) నోటకరచి సముద్రాన్ని ఒక్క ఉదుటన దూకావు అంటే ఆశ్చర్యం ఏముంది?
దుర్గమ కాజ జగత కే జేతే |
సుగమ అనుగ్రహ తుమ్హరే తేతే || ౨౦ ||
అర్థం – జగములో దుర్గము వలె కష్టమైన పనులు నీ అనుగ్రహం వలన సుగమం కాగలవు.
రామ దువారే తుమ రఖవారే |
హోత న ఆజ్ఞా బిను పైఠారే || ౨౧ ||
అర్థం – శ్రీరామ ద్వారానికి నీవు కాపలాగా ఉన్నావు. నీ అనుమతి లేకపోతే ఎవరైన అక్కడే ఉండిపోవాలి.
సబ సుఖ లహై తుమ్హారీ శరణా |
తుమ రక్షక కాహూ కో డరనా || ౨౨ ||
అర్థం – నీ ఆశ్రయములో అందరు సుఖముగా ఉంటారు. నీవే రక్షకుడవు అయితే ఇంకా భయం ఎందుకు?
ఆపన తేజ సంహారో ఆపై |
తీనోఁ లోక హాంక తేఁ కాంపై || ౨౩ ||
అర్థం – నీ తేజస్సును నీవే నియంత్రిచగలవు. నీ కేకతో మూడులోకాలు కంపించగలవు.
భూత పిశాచ నికట నహిఁ ఆవై |
మహావీర జబ నామ సునావై || ౨౪ ||
అర్థం – భూతములు, ప్రేతములు దగ్గరకు రావు, మహావీర అనే నీ నామము చెప్తే.
నాసై రోగ హరై సబ పీరా |
జపత నిరంతర హనుమత వీరా || ౨౫ ||
అర్థం – రోగములు నశిస్తాయి, పీడలు హరింపబడతాయి, ఓ హనుమంతా! వీరా! నీ జపము వలన.
సంకటసే హనుమాన ఛుడావై |
మన క్రమ వచన ధ్యాన జో లావై || ౨౬ ||
అర్థం – మనస్సు, కర్మ, వచనము చేత ధ్యానము చేస్తే సంకటముల నుంచి, ఓ హనుమంతా, నీవు విముక్తునిగా చేయగలవు.
సబ పర రామ తపస్వీ రాజా |
తిన కే కాజ సకల తుమ సాజా || ౨౭ ||
అర్థం – అందరికన్నా తాపసుడైన రాజు శ్రీరాముడు. ఆయనకే నీవు సంరక్షకుడవు.
ఔర మనోరథ జో కోయీ లావై |
సోయి అమిత జీవన ఫల పావై || ౨౮ ||
అర్థం – ఎవరు కోరికలతో నీవద్దకు వచ్చినా, వారి జీవితంలో అమితమైన ఫలితాలను ఇవ్వగలవు.
చారోఁ యుగ ప్రతాప తుమ్హారా |
హై పరసిద్ధ జగత ఉజియారా || ౨౯ ||
అర్థం – నాలుగుయుగాలలో నీ ప్రతాపము ప్రసిద్ధము మరియు జగత్తుకు తెలియపరచబడినది.
సాధుసంతకే తుమ రఖవారే |
అసుర నికందన రామ దులారే || ౩౦ ||
అర్థం – సాధువులకు, సంతులకు నీవు రక్షకుడవు. అసురులను అంతము చేసినవాడవు, రాముని ప్రేమపాత్రుడవు.
అష్ట సిద్ధి నవ నిధి కే దాతా |
అసవర దీన్హ జానకీ మాతా || ౩౧ ||
అర్థం – ఎనిమిది సిద్ధులు, తొమ్మిది నిధులు ఇవ్వగలిగిన శక్తి జానకీమాత నీకు వరంగా ఇచ్చినది.
రామ రసాయన తుమ్హరే పాసా |
సదా రహో రఘుపతి కే దాసా || ౩౨ ||
అర్థం – నీ వద్ద రామరసామృతం ఉన్నది. దానితో ఎల్లప్పుడు రఘుపతికి దాసునిగా ఉండగలవు.
తుమ్హరే భజన రామ కో పావై |
జన్మ జన్మ కే దుఖ బిసరావై || ౩౩ ||
అర్థం – నిన్ను భజిస్తే శ్రీరాముడు లభించి, జన్మ జన్మలలో దుఃఖముల నుండి ముక్తుడను అవ్వగలను.
అంతకాల రఘుపతి పుర జాయీ | [** రఘువర **]
జహాఁ జన్మ హరిభక్త కహాయీ || ౩౪ ||
అర్థం – అంత్యకాలమున శ్రీరఘుపతి పురమునకు వెళితే, తరువాత ఎక్కడ పుట్టినా హరిభక్తుడని కీర్తింపబడుతారు.
ఔర దేవతా చిత్త న ధరయీ |
హనుమత సేయి సర్వసుఖకరయీ || ౩౫ ||
అర్థం – వేరే దేవతలను తలుచుకునే అవసరంలేదు. ఒక్క హనుమంతుడే సర్వసుఖాలు కలిగించగలడు.
సంకట హటై మిటై సబ పీరా |
జో సుమిరై హనుమత బలవీరా || ౩౬ ||
అర్థం – కష్టాలు తొలగిపోతాయి, పీడలు చెరిగిపోతాయి, ఎవరైతే బలవీరుడైన హనుమంతుని స్మరిస్తారో.
జై జై జై హనుమాన గోసాయీ |
కృపా కరహు గురు దేవ కీ నాయీ || ౩౭ ||
అర్థం – జై జై జై హనుమాన స్వామికి. గురుదేవుల వలె మాపై కృపను చూపుము.
యహ శతవార పాఠ కర కోయీ |
ఛూటహి బంది మహాసుఖ హోయీ || ౩౮ ||
అర్థం – ఎవరైతే వందసార్లు దీనిని (పై శ్లోకమును) పఠిస్తారో బంధముక్తులై మహా సుఖవంతులు అవుతారు.
జో యహ పఢై హనుమాన చాలీసా |
హోయ సిద్ధి సాఖీ గౌరీసా || ౩౯ ||
అర్థం – ఎవరైతే ఈ హనుమాన చాలీసాను చదువుతారో, వారి సిద్ధికి గౌరీశుడే (శివుడు) సాక్షి.
తులసీదాస సదా హరి చేరా |
కీజై నాథ హృదయ మహ డేరా || ౪౦ ||
అర్థం – తులసీదాసు (వలె నేను కూడా) ఎల్లపుడు హరికి (హనుమకు) సేవకుడిని. కాబట్టి నా హృదమును కూడా నీ నివాసముగ చేసుకో ఓ నాథా (హనుమంతా).
దోహా-
పవనతనయ సంకట హరణ
మంగళ మూరతి రూప ||
రామ లఖన సీతా సహిత
హృదయ బసహు సుర భూప ||
అర్థం – పవన కుమారా, సంకటములను తొలగించువాడా, మంగళ మూర్తి స్వరూపా (ఓ హనుమంతా), రామ లక్ష్మణ సీతా సహితముగా దేవతా స్వరూపముగా నా హృదయమందు నివసించుము.
(ఈ అర్థము మండా కృష్ణశ్రీకాంత శర్మ కు స్ఫురించి వ్రాయబడినది.)
हनुमान जी का गुप्त मंत्र कौन सा है?
मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
हनुमान चालीसा में 3 दोहे कौन कौन से हैं?
दोहा ।। पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
…
चौपाई
महाबीर विक्रम बजरंगी …
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे …
विद्यावान गुनी अति चातुर …
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा …
लाय सजीवन लखन जियाए …
कलयुग में हनुमान जी के दर्शन कैसे होंगे?
कलयुग में हनुमान : यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से हनुमानजी का आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगेगी। कलियुग में हनुमानजी ने अपने भक्तों को उनके होने का आभास कराया है।
हनुमान जी की जाति (Hanuman Ki Jati Kya Hai) को लेकर तरह तरह के बयान आते रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण (Chaudhary Laxmi Narayan Singh) ने एक बार फिर हनुमान जी को जाट (Jaat) बताया है।
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